Curious Observerविप्लव विप्लव विवेक से विचलित होकर, चलता है विध्वंस की ओर। असमय नहीं पड़ा यह संकट, प्रकट हुआ अन्तः का शोर। सुदृढ़ सुशील सुदर्शित होकर, वक्र प्रतीक्षा करता है। अनुराग और अनुभूति से, निर्जनता को भरता है।— Curious Observer
विप्लव विवेक से विचलित होकर, चलता है विध्वंस की ओर। असमय नहीं पड़ा यह संकट, प्रकट हुआ अन्तः का शोर। सुदृढ़ सुशील सुदर्शित होकर, वक्र प्रतीक्षा करता है। अनुराग और अनुभूति से, निर्जनता को भरता है।— Curious Observer
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