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Writer's pictureCurious Observer

अनकहे

 
 
ना जाने कैसे, आज ये बात निकल गई। हर एक बार, मेरे दिल की बातें दिल में ही दब गई। दब गए वो किस्से, जिन्हें कहने की थी चाहत। दब गए वो नग्मे, जिनसे बढ़ानी थी मोहब्बत। दब गए वो सवाल, जो झकझोरते हैं मेरी रूह को। दब गए वो जवाब, जो कोसते हैं मेरे मुँह को।
कहने सुनने, सुनने सुनाने को, कोई अज़ीज़ ना मिला। औरों के दर्द के वास्ते, हमने भुलाया, हर शिकवा, हर गिला। ख़यालों के समंदर में, अगर कोई झाँक के देखेगा। आँख की लपटों से, मेरा हर कोना, बस बातें बातें सेकेगा।

— Curious Observer

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